Saturday, January 5, 2013

स्वाहा रेज़लूशन स्वाहा 

अभी परसों ही था मैंने इसे बनाया ,
कल अचानक ये गिरता-पड़ता नज़र आया,
और आज न जाने क्यूँ दम तोडती है इसकी काया,
देखो फिर से पड़ रही है मेरे रेज़लूशन पर असफलता की छाया।

ठाना था कि अब सोच समझ कर खाऊँगी खाना,
दिलो-दिमाग से "हैल्दी-हैल्दी" का गाऊँगी गाना,
पर बर्थडे केक पर मेरा मासूम दिन ललचाया,
डाइट चार्ट का फिगर गड़बड़ाता नज़र है आया।

रोज़ सुबह उठकर एक्सरसाइज करने की ली थी कसम,
पर अब लगता है बन गयी है वो भारीभरकम रसम,
वजन की मशीन को भी इसे देख आया है बुखार,
बढ़ते पारे की तरह वजन बढ़ा है एक किलो नहीं बल्कि चार।

टाइम मैनेजमेंट का तो न ही पूछो हाल,
इसके चक्कर में पड़ बिगड़ गयी है मेरी चाल,
प्राथमिकताओं को लिखने के फेरे में कुछ नहीं होता है काम,
पैन और कागज़ ढूंढने में ही हो जाती है शाम।

सही जगह पर सही चीज को अब रखूंगी मैं,
बस अब ये नियम का दुबारा पालन नहीं करुँगी मैं,
कोई चीज़ मिलती नहीं है मेरे यहाँ पर,
जूते तो मिल गए है मगर मेरे मोज़े है कहाँ पर।

आठ घंटे नींद लेना है सबके लिए बहुत जरुरी,
इसी नियम ने मेरी ऑफिस से कर दी है दूरी,
आजकल बॉस मुझसे पहले ऑफिस है पहुँच जाते,
मेरी लेटलतीफी देख कहते है "आप घर ही क्यूँ नहीं है रुक जाते".

रेज़लूशन की भेड़ चाल पड़ी है मुझपर भारी,
कैसी दुविधा में फंस गयी है ये अबला नारी,
अब तो अगले साल ही जाकर मैं ये सोचूंगी,
रेज़लूशन का सॉलिड सलूशन पूरे दिमाग से खोजूंगी।

Thursday, January 3, 2013

श्रधांजलि

तकनीक के आगे गए है हम हार,
भावनाओं ने पहन लिए है श्रधांजलि वाले हार। 

आँखें जहाँ दिल-ए-हाल करती थी बयान,
अब थिरकती है सुन केवल बीबीएम की तान,
स्माईलिस और आइकन्स में हो गयी है गुम,
मुस्कान और हंसी की वो मधुर खिलखिलाती धुन।

तकनीक के आगे गए है हम हार,
भावनाओं ने पहन लिए है श्रधांजलि वाले हार। 

कौन कहाँ है, कहाँ गया या क्या है उसका हाल,
अब एफबी के स्टेटस से पता चलता है हर बार,
कमेंट्स और लाइक्स की इसमें इतनी है भरमार,
कि अब तो दर लगता है कुछ भी करते हुए इज़हार।

तकनीक के आगे गए है हम हार,
भावनाओं ने पहन लिए है श्रधांजलि वाले हार। 

प्रत्यक्ष रहकर प्रतिक्रिया देना हुआ है अब ओल्ड,
ट्वीटर के ट्वीट की आवाज है अब इतनी बोल्ड,
यहाँ चंद शब्द ही बरपाते है गज़ब का कहर,
तो फिर कोई क्यूँ उड़ेले भावनात्मक शब्दों की लहर।

तकनीक के आगे गए है हम हार,
भावनाओं ने पहन लिए है श्रधांजलि वाले हार। 

कभी हाथ थाम एक-दुसरे को हम देते थे सहारा,
अब नेटवर्किंग साइट्स व मोबाइल एप्स पर बहुत कुछ शेयर करते है यारा,
मासूमियत से अश्लीलता तक सब कुछ है यहाँ,
हमारें शरीर तो है पर हमारी आत्मा है कहाँ।

तकनीक के आगे क्यूँ  गए है हम हार,
क्यूँ भावनाओं ने पहन लिए है श्रधांजलि वाले हार।