तीस का आंकड़ा करते ही पार,
मुझे ये अब समझ में है आया,
आगे का सफ़र, और मेरे यारा,
लगता नहीं है तय कर पायेगी मेरी काया।
घबराता है देख दिल, चेहरे की पहली फाइन लाइन,
लगता है रिटायरमेंट प्लान मुझे कर लेना चाहिए साइन,
पेन के साथ कुछ ऐसी जुड़ गयी है मेरी राइम,
काम किया नहीं जाता और बीत जाता है यूँ ही पूरा टाइम।
खाने को देख पेट कहता है मुझे हरबार "हाँ-हाँ",
पर डाईजेस्टिव सिस्टम जोर से चिल्लाता है "ना-ना",
बालों की सफेदी भी अब लगी है यूँ झाकने,
लोग इन्हें देख लगे है मेरी सही उम्र आंकने।
घुटनों और पीठ दर्द में नहीं हो रहा है कोई सुधार,
लगता है जैसे यह मेरे नहीं बल्कि लिए गए हो किसी से उधार,
चार आँखें भी लगने लगी है अब तो धुंधली,
नंबर बढ़ने की जैसी गा रही हो कोई धुन सी।
एनर्जी का तो न ही पूछो हाल,
बढती उम्र ने बिगाड़ दी है इसकी चाल,
मेट्रो में उठ लोग देने लगे है मुझे सीट,
कहते है "बैठिये न, यह सीनियर सिटिज़न की ही है सीट".
कैसे तय होगा मेरा आगे का यह जीवन सफ़र,
फिट रहने की उतरने लगी है मेरी वो अकड,
हे भगवन! मुझे दो थोड़ी सी शक्ति,
वरना तीस में ही हो जाएगी जीवन विरक्ति .
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