जब शाम को मैंने उनका मुंह देखा,
लगा, अभी तक नाराज़ है मुझसे,
कल रात की तू-तू-मैं-मैं की,
धधक कर जलती आग है ये.
वो आयें और अपने काम में व्यस्त हुए,
हम भी मुंह लटकाएं, अपनी दिनचर्या से पस्त हुए,
रात को भी, थी इस चुप्पी और ख़ामोशी,
पर मेरे मन में थे, भावों की पोशाम्पाशी.
ऐसा लगा जैसे, हम है दो अलग राहें,
जो एक-दूसरे को, फूटी आँख भी न भएँ,
इस तरह वो मुझे से नज़र चुरा रहे थे,
मानो एकता के सीरियल की भूमिका अदा कर रहे थे.
मैंने भी ठान ली थी, मन में यह बात,
इस बार मैं न मानूंगी उनसे हार,
तभी अचानक से सिकुड़े होंठो में हुई हरकत,
दो इंच की मुस्कान ने बदली उनकी रंगत.
लगा शायद उन्हें गलती का, हुआ है अहसास,
तभी तो खुद ही मुस्काकर, कर रहे है तांकझांक,
मैंने भी अपने हठ का, किया तब त्याग,
प्यार से दो बोल बोले और पकड़ा उनका हाथ.
उसके बाद न पूछो, हुई क्या बात,
हाथ पकड़ते ही, समझ आया यह राज़,
पिघल गयी थी, जो देख कर उनकी मुस्कान,
अब मन कर रहा है, जोर से पकडू उनके कान.
जिस मुस्कान पर, मैं गयी थी फिसल,
सच्चाई ने जिसे, दिया इक पल में मसल,
समझ तब मुझे आया, मेरी सूरत देख नहीं,
ब्लैक बेरी मैसेंजर का मैसेज देख, उनका मन था मुस्काया.
प्रीति बिष्ट सिंह
:):) बढ़िया हास्य ...
ReplyDeleteकृपया टिप्पणी बॉक्स से वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .
चलो किसी बहाने यह मुस्कान तो वापस आई
ReplyDeleteजिस मुस्कान पर, मैं गयी थी फिसल,
ReplyDeleteसच्चाई ने जिसे, दिया इक पल में मसल,
समझ तब मुझे आया, मेरी सूरत देख नहीं,
ब्लैक बेरी मैसेंजर का मैसेज देख, उनका मन था मुस्काया.
jo mere chehre ko bhi muskaan de gaya
ब्लैक बेरी मैसेंजर का मैसेज देख, उनका मन था मुस्काया.
ReplyDeletehahaahahahaa, lekin aise mugalte hote rahe to achhi bat he, kam se kam samvad ka anshan to sampat hua!
sundar prastuti
ऐसा ब्लैक बेरी मैसेन्जर हर घर में होना चाहिये :)
ReplyDeletewaah....sundar hasy rachna.
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